
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के चंदखुरी गांव में खुशी का माहौल है। यहां पशुपालन करने वाले किसानों ने गोबर बेचकर बम्पर कमाई की है। महिला किसान द्रौपदी 70 गाय पालती हैं। उन्होंने 10 दिन का गोबर इकट्ठा कर सरकार को दो रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेच दिया। पांच अगस्त को उनके खाते में 31 हजार रुपये का भुगतान हुआ।
द्रौपदी की तरह ही सावित्री ने 65 गाय से 25 हजार रुपए की कमाई की। गांव के ही रामकृष्ण यादव एवं सूरज यादव ने भी इतने पैसों का गोबर बेचा। पूरे गांव को मिलाकर सरकार की तरफ से दो लाख का भुगतान हुआ है।
छत्तीसगढ़ सरकार गोधन न्याय योजना के तहत किसानों और पशुपालकों से गोबर खरीद रही है। इस योजना का पहला पेमेंट 5 अगस्त को पशुपालकों को हुआ। योजना का सबसे बड़ा लाभ पहाटियों अर्थात चरवाहों को हो रहा है। किकिरमेटा की कलीन बाई के खाते में 23 हजार रुपए आए हैं। उनके पति संतरू पहाटिया हैं। गौठानों में पशुओं को लाकर रखने पर वहां एकत्रित किया गया गोबर चरवाहों का होता है।
इतने गोबर का क्या करेगी सरकार
गोधन न्याय योजना को 20 जुलाई को हरेली त्योहार पर शुरू किया गया था। एक अगस्त तक लगभग 10 हजार किसानों ने 50 लाख रुपये का गोबर बेचा। एकत्रित गोबर से शहरी क्षेत्रो में वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की लकड़ी, धूपबत्ती, गमले, दिया, मूर्ति आदि उत्पाद बनाने की तैयारी चल रही है। महिला स्वसहायता समूहों को गोबर से दीया, लकड़ी, टोकरी आदि बनाकर बेच सकती हैं। जैविक खाद से शुद्ध अनाज और सब्जियां पैदा की जाएंगी। इस योजना के तहत राज्य के सभी वर्गो के 65 हजार 694 पशुपालकों में से 46 हजार 964 पशुपालकों ने एक अगस्त तक 82 हजार 711 क्विंटल गोबर बेचा है। गोबर बेचने वालों में से 40 हजार 913 पुरूष और 24 हजार 781 महिला है। इनमें 25 हजार 474 अनुसूचित जनजाति वर्ग के 5 हजार 474, अनुसूचित जाति के 5 हजार 490 और 71 हजार 724 अन्य पिछड़ा वर्ग के पशुपालक शामिल है।